128वां संविधान संशोधन विधेयक क्या है | महिला आरक्षण बिल 2023 क्या है | Current affairs analysis in hindi | Women's Reservation

128वां संविधान संशोधन

128वां संविधान संशोधन विधेयक हाल ही में भारतीय संसद के दो प्रमुख भागों, लोकसभा और राज्यसभा, दोनों में मंजूरी पा ली है। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से, महिलाओं को भारतीय संसद के दो प्रमुख सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, में आरक्षित सीटों का आवंटन किया गया है।महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों की आरक्षण होगी।

यह संशोधन विधेयक राज्यसभा में 215-0 के बहुमत से पास हुआ है, इसका मतलब है कि राज्यसभा के सभी सदस्यों ने इसे समर्थन दिया और किसी भी सदस्य ने इस विधेयक के खिलाफ वोट नहीं दिया। इससे सुझाव दिया जा रहा है कि सभी पार्टियों और सदस्यों ने महिलाओं के साथी भागीदारी को समर्थन दिया है और इसे सच में समर्थन मिला है।

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यह कब पारित होगा  और किसके माध्यम से:

  • 128वां संविधान संशोधन विधेयक के आरक्षित सीटों का प्रावधान आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होगा। इसके बजाय, इसका क्रियान्वयन परिसीमन की कवायद के बाद ही हो सकेगा। 

  • परिसीमन का मतलब होता है कि लोकसभा और विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार करना, ताकि वे नवीनतम जनगणना के अनुसार उनकी सीमाओं को बदल सकें। 

  • आपके बताए गए सनातन सूचना के मुताबिक, जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है, और इसके लिए कई कारण हो सकते हैं।

  •  इसलिए अब यह अनुमान है कि इस संविधान संशोधन विधेयक का क्रियान्वयन 2029 या 2031 तक ही हो सकेगा, क्योंकि परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने में इस समय की आवश्यकता होगी।
  • इसका मतलब है कि यह आरक्षण अब तक कुछ वर्षों तक लागू नहीं हो सकेगा, जब तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है और नए चुनावी जिलों का निर्धारण नहीं होता।

महत्वपूर्ण प्रावधान:

महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान क्या है?

  • 128वां संविधान संशोधन विधेयक भारतीय संसद, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों शामिल हैं, में हाल ही में पारित हुआ है। 

  • इस संशोधन विधेयक के माध्यम से, महिलाओं को भारत की सभी राज्य विधानसभाओं में और लोकसभा में 33 फीसदी की आरक्षित सीटें मिलेंगी 

  • इसका मतलब है कि लोकसभा और हर भारतीय राज्य की विधानसभा में, जो कि राज्यों के बड़े निर्वाचनीय संसद के हिस्से होती हैं, 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
  • इस संविधान संशोधन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है। 

  • यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि महिलाएँ भारतीय राजनीति में भी अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकें और उन्हें निर्वाचनीय पदों के लिए अधिक अवसर मिलें।

इस संशोधन के बाद, महिलाएँ अधिक संसदीय सीटों पर प्रतिनिधित्व पाने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे उनके विचारों और दृष्टिकोण का समय-समय पर संसद में प्रकट हो सकेगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो महिलाओं के समाज में अधिक सामाजिक और राजनीतिक भूमिका निभाने के लिए उन्हें मिला है।
Woman Reservation|Rajasthani Guru 

इसका महत्व क्यों है?

  • आपने सही दिशा में बात की है, कि महिला आरक्षण के प्रति विभिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं और इस पर विवाद उत्पन्न हो सकता है। 

  • यह विवाद तब प्रारंभ हुआ था जब संविधान बनाने के समय महिला सदस्यों द्वारा उठाए गए विचारों को लेकर हुआ था।

महिला सदस्यों ने यह कहा कि महिलाओं को विशेष आरक्षण की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्होंने समाज में समानता की मांग की। उनका कहना था कि महिलाएँ योग्यता के आधार पर चुनी जानी चाहिए और वे किसी भी पद के लिए योग्य हो सकती हैं। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता की मांग की, जिससे महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिल सके।

  • इस बात का आलोचनाकर्ता कहने का मतलब है कि महिलाएँ योग्यता और क्षमता के आधार पर चुनी जानी चाहिए और उन्हें किसी भी पद के लिए चुनने का अधिकार होना चाहिए, बिना किसी आरक्षण की आवश्यकता के।
  • इन विचारों के साथ-साथ, महिला सदस्यों ने सामाजिक और राजनीतिक न्याय की मांग भी की, जिससे महिलाओं को समाज में और राजनीति में भी अधिक समाहित किया जा सके।
  • इसके परिप्रेक्ष्य में, हमें देखना चाहिए कि वक्त के साथ यह मान्यता पाई है कि महिलाओं को उनके पूरी योग्यता और क्षमता के आधार पर चुना जाना चाहिए, लेकिन आरक्षण जैसे कदम उनके समाज में और राजनीति में अधिक भागीदारी की दिशा में एक साधना भी हो सकता है। 

  • इससे महिलाओं को उनके अधिकार का सम्मान मिलता है और उन्हें अधिक समाजिक और राजनीतिक भूमिका निभाने का मौका मिलता है।

सामाजिक प्रभाव :

महिलाओं के साथी भागीदारी के इस प्रयास का समाज पर क्या प्रभाव हो सकता है?

  • आपने एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण मुद्दा उठाया है, जिसमें महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी में बाधाएँ आ सकती हैं, और इसका सामना करना होता है।
  • स्त्रीद्वेष और लैंगिक भेदभाव केवल राजनीतिक दलों और राजनेताओं के भाषणों तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि यह समाज की एक बड़ी सामाजिक समस्या भी है। 
  • इसके परिणामस्वरूप, महिलाएं राजनीतिक जीवन में शामिल होने के लिए अकेले ताकदवर होती हैं और उन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक संविदान के खिलाफ खड़ा करना पड़ सकता है।
  • ऐसे प्रतिस्पर्धात्मक परिदृश्यों में, संविधानीय आरक्षण की आवश्यकता उचित हो सकती है, क्योंकि यह महिलाओं को समर्थन प्रदान करता है और उन्हें बाधाओं के खिलाफ सुरक्षित और समर्थ तरीके से प्रतिस्पर्धा करने का मौका देता है। 
  • संविधानीय आरक्षण इस प्रकार समाज में सामाजिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे महिलाओं को स्वतंत्रता, सामाजिक भूमिका, और समाज में अधिक सक्रिय भूमिका मिल सकती है।
इस प्रकार, महिलाओं को उनके पूरी क्षमता और कौशल के आधार पर चुना जाना चाहिए, लेकिन समाज में उनके समाजिक और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को समर्थन भी प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे समृद्धि और समाज में अधिक सामाजिक न्याय की ओर अग्रसर हो सकें ।
128 वां संविधान संशोधन विधेयक क्या है?

इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य भारतीय संसद के दो प्रमुख सदनों, लोकसभा और राज्यसभा, में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान करना है। इसके माध्यम से, यह संशोधन महिलाओं को संसद के दो प्रमुख सदनों में 33% सीटों की आरक्षण प्रदान करता है, जिसका मतलब है कि यह सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी | इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है।

125 वां संविधान संशोधन कब हुआ?

'125वां संविधान संशोधन' विधेयक 2019 में पेश किया गया था। इसे गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 6 फरवरी 2019 को भारतीय राज्यसभा में प्रस्तुत किया था। इस संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान की छठी अनुसूची से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करना था, और इसका प्रस्ताव वित्त आयोग के साथ जुड़े कई मुद्दों पर आधारित था।.

संवैधानिक संशोधन के लिए एक विधेयक शुरू करने के लिए अधिकृत कौन है?

संविधान में संशोधन करने की शक्ति संसद को दी गई है। संविधान संशोधन विधेयक किसी भी संसदीय सत्र में संसद द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है।

भारतीय संविधान का सबसे लंबा संशोधन कौन सा है?

42वां संविधान संशोधन है, जिसे मिनी (छोटा) संविधान या इंदिरा गांधी का संविधान भी कहा जाता है। यह संशोधन संविधान के इतिहास में सबसे लंबा संशोधन है और इसने संविधान के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाए।