मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास : हिंदी में राजस्थान सामान्य ज्ञान
! मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास !
Table of Contents
1.Introduction / परिचय :
राजस्थान के मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था के मूल तीन स्तंभ थे: पहला, सामान्य और सैन्य प्रशासन; दूसरा, न्याय प्रशासन; और तीसरा, भू-राजस्व प्रशासन। पूरे प्रशासन तंत्र का आधार राजा और सामंत व्यवस्था पर था।
2. प्रशासनिक संरचना / Administrative Structure :
- सामान्य और सैन्य प्रशासन।
- न्यायिक प्रशासन।
- भूमि राजस्व प्रशासन।
3. राज्य और सामंतिक प्रणाली / State and Feudal System :
- प्रत्येक रियासत में अपनी व्यवस्था थी, लेकिन कुछ वर्गीकरण था।
- रियासतें मुघल सुबह के अधीन थीं और मुघल शासन के प्रभाव में थीं।
4. सामंत प्रणाली / Feudal System :
- राजस्थान की सामंत प्रणाली राजा और महाराजा के बीच के संबंधों पर आधारित थी।
- राजस्थान की सामंत प्रणाली इंग्लैंड की सामंत प्रणाली की तरह थी।
- इस प्रणाली में जाति और रिश्तों के आधार पर काम होता था।
- विभिन्न क्षेत्रों में प्रणाली में विभिन्नताएं थीं।
- सामंत वर्गों में राजवी, सरदार, गणयत, मुत्सद्दी और अन्य शामिल थे।
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5. केंद्रीय प्रशासन / Central Administration :
- प्रशासन राजा, मुखमंत्री, बक्शी, नायब बक्शी और शिकदार के माध्यम से किया जाता था।
मध्यकालीन राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था | | मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास
6. भूमि वर्गीकरण / Land Categorization :
- राजस्थान में खेती, सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार की भूमि का प्रबंध किया गया।
- कृषि भूमि: जो कृषि के लिए उपयोग की जाती थी।
- पशुपालन भूमि: जो पशुपालन के लिए उपयोग की जाती थी।
- भूमि को सामंत जागीर, हुकुमत जागीर, भौम जागीर, या शासन जागीर के रूप में वर्गीकृत किया गया।
7. कृषि भूमि / Agricultural Land :
- इस भूमि का खेती के लिए उपयोग किया जाता था, और किसान इससे अपनी मुख्य आय प्राप्त करते थे।
8. पशुपालन भूमि / Pastoral Land :
- इस भूमि का पशुपालन के लिए उपयोग किया जाता था, जो किसानों की आय को बढ़ाने में सहायक था।
9. किसानों के प्रकार:
बापीदार किसान:
- वे जो अपनी भूमि के मालिक थे।
गैरबापीदार किसान:
- वे जो भूमि के मालिक नहीं थे और मजदूर के रूप में काम करते थे।
डाखला (पट्टा):
- जो किसी भूमि के उद्घाटन और अधिकारों का अनुमान रखता था।
10. भूमि राजस्व विधियाँ / Land Revenue System :
लट्ठा या बटाई प्रणाली:
- परिणाम समय में वसूले जाने वाले कर।
गुनवाला:
- भूमि क्षेत्र के आधार पर लगाया जाने वाला कर.
लहारा:
- वृष्टि के मौसम में फलदार और खेती किए जाने वाले क्षेत्रों पर कर।
11. मध्यकालीन राजस्थान में कर / Taxes in Medieval Rajasthan:
लग-बाग प्रणाली:
- लोगों पर लगाए जाने वाले विभिन्न कर।नियमित कर (नियमित कर) और अनियमित कर (अनियमित कर)।
- नल बट, नोहरा, घोघरी, गुन, और कलम जैसे अतिरिक्त कर।
12. मुघल राजपूत राज्यों के प्रति नीतियाँ / Mughal Policies towards Rajput States :
- अकबर का "सुलह-ए-कुल" सिद्धांत राजपूत शासकों के साथ शांतिपूर्ण सहयोग के लिए।
- राजपूत शासकों को स्थानीय स्वायत्ता प्रदान की गई।
- सहायक शासकों को बनाए रखने और समर्थन देने के लिए 'तिका' प्रणाली के प्रयास का अमल किया गया।
- राजपूतों को 'आहदी' और मुघलों को 'मंसबदार' के रूप में शामिल करने वाली संयुक्त सैन्य संरचना।
13. सैन्य और समाज / Military and Society :
- विदेशी भर्ती, जैसे कि अफगान, रोहिल्ला, मराठा, और सिंधियों की शामिली।
- सेना में पैदल सैन्य (प्यादे), शावर (कैवलरी), और आर्टिलरी (टॉपगरी) का समावेश था।
- घोड़ों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत किया गया।
- असलहखाना (शस्त्रगार) में आयुद्धों और शस्त्रों की देखभाल की जिम्मेदारी थी।
यह मध्यकालीन राजस्थान के इतिहास का व्यापक रूप है, जिसमें इसके प्रशासनिक, सामंतिक और कृषि संबंधी पहलुओं को समाहित किया गया है। मुघलों के द्वारा राजस्थान की ओर नीतियाँ और सैन्य संरचना इस युग के महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं।
राजस्थान का सबसे पुराना नाम कौन सा है?
राजस्थान का पुराना नाम 'राजपूताना' था, और यह नाम इस राज्य के गौरवशाली इतिहास और राजपूत योद्धाओं के परम्परागत महौल को प्रतिबिंबित करता है। इस नाम का संबंध राजस्थान के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गौरव और सांस्कृतिक धरोहर से है, और यह उसकी रूचि को दर्शाता है कि यह राज्य कितना गर्वित है।
राजस्थान के इतिहास के जनक कौन थे?
कर्नल जेम्स टॉड को राजस्थान के इतिहास का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनसे राजस्थान के इतिहास को एक नया मोड़ दिया।कर्नल जेम्स टॉड, ब्रिटिश भारतीय सेना के सदस्य थे और 1829 ईसा में उन्होंने "राजपूताना" के नाम से एक व्यापारिक विभाग का संचालन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य राजपूताना क्षेत्र के प्रशासन और आर्थिक मामलों का संचालन करना था।
राजस्थान का इतिहास कितने वर्ष पुराना है?
राजस्थान का इतिहास वास्तव में एक बहुत ही प्राचीन और समृद्ध इतिहास है, और यह तकरीबन 5,000 वर्ष पुराना है। राजस्थान का इतिहास तीन प्रमुख कालों में विभाजित किया जा सकता है - प्राचीन काल, मध्यकालीन काल, और आधुनिक काल.
राजस्थान को रजवाडों की भूमि क्यों कहा जाता है?
आजादी के पहले के राजस्थान का इतिहास दर्शाता है कि इस समय यह विभिन्न छोटे राजवाड़ों में विभाजित था, जिन्हें रजवाड़े कहा जाता था। इस भूमि को राजवाड़ों की भूमि कहा जाता है।