Exploring Class 11 Economics Notes For UPSC : भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र !
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
अर्थव्यवस्था :
"अर्थव्यवस्था" शब्द का अर्थ है किसी समाज या समुदाय की उत्पादन, वितरण, और खपत की सामाजिक व्यवस्था। यह एक देश या क्षेत्र के भीतर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में चल रहे गतिविधियों का एक पूरा चित्र प्रदान करता है। अर्थव्यवस्था का यह चित्र एक विशेष कालांतर को दर्शाता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख तीन क्षेत्र हैं -
1. प्राथमिक क्षेत्र
2. द्वितीय क्षेत्र
3. तृतीयक क्षेत्र
1. प्राथमिक क्षेत्र :
जिस क्षेत्र में किसी वस्तु का उत्पादन सीधा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किया जाता है, उसे प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। क्योंकि यह उन सभी उत्पादों का आधार है जिन्हें हम क्रमशः निर्मित करते हैं। हम अधिकांशत है प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्य और वनों से प्राप्त करते हैं इसलिए इस क्षेत्र को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
उदाहरण: कृषि एवं संबंधित क्षेत्र ( सामाजिक वानिकी, मत्स्य पालन ), खनन और उत्खनन
- भारत ने आर्थिक मजबूती को अपने देश के आर्थिक हित के अनुरूप डाल लिया।
- कृषि क्षेत्रक - 85% लोग कृषि पर आधारित है।
- कृषि क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन - कृषि में गतिहीनता रही और कभी-कभी गिरावट भी रही है।
- क्षेत्रफल विस्तार के कारण उत्पादन बढ़ा था, लेकिन उत्पादकता में वर्दी नहीं।
1 हेक्टेयर जमीन = 10 क्विंटल गेहूं
- उत्पादकता ( Productivity ) - प्रति इकाई उत्पादन की क्षमता को उत्पादकता कहते हैं।
10 हेक्टेयर जमीन = 100 क्विंटल गेहूं
कृषि क्षेत्र में समस्या के प्रमुख कारण :
ब्रिटिश शासको की भू धारण प्रणाली -
1. स्थाई बंदोबस्त - स्थाई बंदोबस्त में जमीदारों से सीधा अनुबंध होता था।
2. रैयतवाड़ी - रैयतवाड़ी में सीधे किसानों से अनुबंध लेकिन भू राजस्व की दर बहुत ऊंची रखी गई थी।
3. महालवाड़ी - कृषि शोषण पर आधारित
कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर :
- सिंचाई की कमी
- उर्वर को नगन्य प्रयोग शोषण पर आधारित थी।
- कृषि का व्यवसाय कारण हुआ किंतु इसमें भी हानियां हुई।
2 . द्वितीयक क्षेत्र -
- वें गतिविधियां जिनमे प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है, द्वितीय क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
- यह प्राथमिक क्षेत्रक के बाद अगला कदम है।
- यहां वस्तु सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती है बल्कि निर्मित की जाती हैं यह प्रक्रिया किसी कारखाने, किसी कार्यशाला या किसी घर में हो सकती है | उदाहरण = उद्योग
- विनिर्माण ( Manufacturing )- निरंतर कच्चे माल या मध्यवर्ती वस्तु को नए रूप में परिवर्तित करना |
- निर्माण ( Construction)- एक बार में सृजन लंबी अवधि के उपयोग वाली चीज |
- औद्योगिक क्षेत्र - शहरों से शिल्प व्यवसाय नष्ट कर दिया तथा बदले में कोई विकल्प भी नहीं दिया गया जिसका परिणाम निकला - बेरोजगारी
- स्थानीय जरूरत की पूर्ति हेतु आयात पर निर्भर होना पड़ा |
- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में कुछ उद्योग लगे |
- 20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में - सूती वस्त्र उद्योग ( पश्चिमी भारत, महाराष्ट्र, गुजरात | जुट उद्योग - बंगाल )
- सन 1907 ईस्वी में टिस्को ( TISCO ) की शुरुआत हुई
- 1939-45 ( द्वितीय विश्व युद्ध )- चीनी, सीमेंट, कागज उद्योग फैलने लगे , पूंजीगत उद्योग का विस्तार नहीं हो पाया
3. तृतीयक क्षेत्र :
तृतीय क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियां स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं जैसे प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं खुदरा विक्रेताओं को बेचने के लिए ट्रैकों एवं ट्रेनों द्वारा परिवहन करने की जरूरत पड़ती है | परिवहन , भंडारण, संचार, बैंक सेवाएं तृतीय गतिविधियों के कुछ उदाहरण है |
यह गतिविधियां वस्तुओं की बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं इसलिए तृतीय क्षेत्र को सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।
Note : खनन एवं उत्खनन को प्राथमिक क्षेत्र में रखा जाता है किंतु खनन एवं उत्खनन की गणना द्वितीयक क्षेत्र में की जाती है |
- प्रकृति से खनिज प्राप्त होता है इसलिए उसे प्राथमिक क्षेत्र में माना जाता है लेकिन वर्तमान में NSO ( राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय) इसकी गणना द्वितीय क्षेत्र में करता है |
- जब हम किसी देश को उसकी समस्त आर्थिक क्रियो के संदर्भ में परिभाषित करते हैं तो उसे अर्थव्यवस्था कहते हैं |
- अर्थव्यवस्था किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र के व्यावहारिक स्वरूप को प्रदर्शित करती है |Ex. - भारतीय अर्थव्यवस्था, अमेरिकी अर्थव्यवस्था
Note - प्राथमिक एवं द्वितीय क्षेत्र जितना विकसित होगा उतना ही सेवा क्षेत्र विकसित होगा
- बैंक बीमा, वित्तीय क्षेत्र, परिवहन, भंडारण, संचार , रेस्टोरेंट, व्यवसाय, होटल, लोक सेवाएं, निजी सेवाएं, अन्य सेवाएं, आयात - निर्यात