Article 201 of Indian Constitution: अनुच्छेद 201 (भारत का संविधान).
Article 201 of the Indian Constitution
भारत के संविधान में अनुच्छेद 201 (Article 201) को भाग 6 में रखा गया है।इस धारा का मुख्य विषय "विचार हेतु आरक्षित विधेयक" है, जो राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच संबंध को परिभाषित करता है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 201 विचार हेतु आरक्षित विधेयकों के प्रावधान को स्पष्ट करता है और राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच संबंध को परिभाषित करता है।
- अनुच्छेद 201 सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति अगर चाहे तो अविचारित विधेयक पर भी पुनर्विचार करने का अधिकार हैं, जिससे संविधानिक प्रक्रिया की सुरक्षा और न्याय की सुनिश्चितता हो।
अनुच्छेद 201 के मुख्य प्रावधान (Key provisions of Article 201):
- धारा 201 के अनुसार, राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित विधेयक पर राष्ट्रपति को सहमति देने या रोकने का अधिकार होता है।
- राष्ट्रपति को यदि लगता है कि विधेयक उचित है, तो वे इसे स्वीकार करते हैं और विधेयक को पारित किया जाता है।
- यदि विधेयक वित्तीय विधेयक नहीं है, तो राष्ट्रपति राज्यपाल को विधेयक को सदन में लौटाने के लिए संदेश दे सकते हैं।
- राज्यपाल को उसे फिर से सदन के लिए पुनर्विचार करने का निर्देश दिया जाता है।
- विधेयक को फिर से सदन या सदनों द्वारा पारित किया जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के समक्ष विचारार्थ पुनः प्रस्तुत किया जाता है।
भारत का संविधान (Constitution of India)
शीर्षक | भारत का संविधान |
भाग | भाग 6 |
पूर्ववर्तीती अनुच्छेद | अनुच्छेद 200 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती अनुच्छेद | अनुच्छेद 202 (भारत का संविधान) |
रचनाकार | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | भारतीय संविधान |
प्रकाशित तिथि | 1949 |
अनुच्छेद 201 का मूल पाठ
When a Bill is reserved by a Governor for the consideration of the President, the President shall declare either that he assents to the Bill or that he withholds assent therefrom:
Provided that, where the Bill is not a Money Bill, the President may direct the Governor to return the Bill to the House or, as the case may be, the Houses of the Legislature of the State together with such a message as it mentioned in the first proviso to article 200 and, when a Bill is so returned, the House or Houses shall reconsider it accordingly within a period of six months from the date of receipt of such message and, if it is again passed by the House or Houses with or without amendment, it shall be presented again to the President for his consideration.
भारत के संविधान बारे में अधिक जानकारी :-
Source By : Indian Constitution
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