Article 356 of Indian Constitution : अनुच्छेद 356 (भारत का संविधान).
Article 356 of Indian Constitution
भारत के संविधान में अनुच्छेद 356 को भाग 18 में रखा गया है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक मशीनरी की विफलता को नियंत्रित करता है। राज्यों में संवैधानिक मशीनरी की विफलता से तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जहाँ राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम नहीं करती है।अनुच्छेद 356 भारतीय संविधान में राज्य सरकारों के विफलता के मामलों में संवैधानिक उपायों को स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह राज्य सरकारों को संविधान के मानकों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है और समाज की सुरक्षा और अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
भारत का संविधान (Constitution of India)
शीर्षक | भारत का संविधान |
भाग | भाग 18 |
पूर्ववर्तीती अनुच्छेद | अनुच्छेद 355 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती अनुच्छेद | अनुच्छेद 357 (भारत का संविधान) |
रचनाकार | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | भारतीय संविधान |
प्रकाशित तिथि | 1949 |
अनुच्छेद 356 के मुख्य प्रावधान :
अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को एक घोषणा जारी करने की शक्ति प्रदान करता है यदि वह संतुष्ट होते हैं कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम नहीं कर रही है।
इस घोषणा के माध्यम से वह : -
राज्य सरकार के कार्यों को रोकना (खंड ए):
- राष्ट्रपति यह उद्घोषणा कर सकते हैं कि राज्य सरकार के सभी या किसी भी कार्य को रोक दें, और राज्य के विधानमंडल की शक्तियां संसद के अधिकार के तहत या उसके द्वारा प्रयोग योग्य होंगी। राज्य सरकार या राज्यपाल या राज्य के किसी निकाय या प्राधिकरण के अधिकारों को अपने ऊपर ले सकते हैं।
राज्य सरकार के विधानमंडल की शक्तियां संभालना (खंड बी):
- राज्य विधानमंडल की शक्तियों को संसद के अधिकार के तहत घोषित कर सकते हैं।
अन्य आकस्मिक प्रावधान करना (खंड सी):
- ऐसी प्रावधानिक उपाय कर सकते हैं जो घोषणा के उद्देश्यों को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक या वांछनीय माने जाते हैं।
किस अवस्था में लागू होता है :
- यह अनुच्छेद केवल उस समय लागू होता है जब किसी राज्य का संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो गया हो और राज्य की स्थिति बहुत अस्थिर और अशांत हो।
कैसे लागू होता है:
जब केन्द्र सरकार को लगता है कि किसी राज्य में सरकार का नियंत्रण पूरी तरह से ख़त्म हो गया है और वह राज्य के आपातकालीन परिस्थितियों का सामना नहीं कर सक रही है, तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 को प्रयोग में लाया जा सकता है। और पुरे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागु किया जाता है।
घोषणा की अवधि:
- प्रत्येक घोषणा को अनुच्छेद 356 के तहत की सभी शाखाओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यह उस तारीख से छह महीने तक का होगा जिस दिन वह प्रथम बार प्रस्तावित होता है।
- यदि परिषद द्वारा पारित किया गया है, तो घोषणा, जब तक रद्द नहीं होता, छह महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए लागू रहेगा।
अनुच्छेद 356 के पूर्ववर्ती प्रयोग:
1. पंजाब मामला (1951):- यह अनुच्छेद पहली बार 20 जून 1951 को लागू किया गया था जब पंजाब की कम्युनिस्ट सरकार को बर्खास्त किया गया था।
- इस घोषणा के दौरान, राष्ट्रपति ने पंजाब में 302 दिनों तक राष्ट्रपति शासन लागू किया।
2. बाबरी मस्जिद (1992):
- उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद, जो 6 दिसंबर 1992 को हुआ था, उसके बाद भी राज्य सरकार को बर्खास्त किया गया था।
- बाबरी मस्जिद के तोड़फोड़ के पश्चात, राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया।
3. केरल (1959):
- पहली बार लोकतंत्रिक चुनी गई केरल की कम्युनिस्ट ईएमएस नम्बूदरीपाद की सरकार को सन् 1959 में इस प्रावधान का उपयोग कर बर्खास्त किया गया था। इसके परिणामस्वरूप, पूरे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
अनुच्छेद-356 के दुरुपयोग :
- राष्ट्रपति शासन के आलोचकों का तर्क है कि अधिकतर समय, इसे राज्य में राजनैतिक विरोधियों की सरकार को बर्खास्त करने के लिए एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे कुछ लोगों के द्वारा इसे संघीय राज्य व्यवस्था के लिए एक खतरे के रूप में देखा जाता है।
- 1950 में भारतीय संविधान के लागू होने के बाद से केन्द्र सरकार द्वारा इसका प्रयोग 100 से भी अधिक बार किया गया है।
- अनुच्छेद 356 को राष्ट्रपति शासन के नाम पर राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए एक बहाने के रूप में देखा जाता है।
अनुच्छेद 356 का मूल पाठ
If the President, on receipt of report from the Governor of the State or otherwise, is satisfied that a situation has arisen in which the government of the State cannot be carried on in accordance with the provisions of this Constitution, the President may by Proclamation . President may by Proclamation-(a) assume to himself all or any of the functions of the Government of the State and all or any of the powers vested in or exercisable by the Governor or any body or authority in the State other than the Legislature of the State;(b) declare that the powers of the Legislature of the State shall be exercisable by or under the authority of Parliament;(c) make such incidental and consequential provisions as appear to the President to be necessary or desirable for giving effect to the objects of the Proclamation, including provisions for suspending in whole or in part the operation of any provisions of this Constitution relating to any body or authority in the State:Provided that nothing in this clause shall authorise the President to assume to himself any of the powers vested in or exercisable by a High Court, or to suspend in whole or in part the operation of any provision of this Constitution relating to High Courts.
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Source By : Indian Constitution