राजस्थान का साहित्य | राजस्थानी साहित्य की प्रमुख रचनाएँ | राजस्थान का संत व् लोक साहित्य | Literature Of Rajasthan.

 😄 राजस्थान का साहित्य / Literature 😄

1.Introduction / परिचय :

राजस्थानी साहित्य वास्तव में एक अत्यंत विपुल और विशाल साहित्य परंपरा है जिसे राजस्थान के भू-भाग में बोली जाने वाली जनभाषा में लिखा और मौखिक रूप से पास गौरव करता है। इस साहित्य की शुरुआत हिन्दी साहित्य के प्रारम्भिक काल के साथ हुई थी, जब लोक कथाएँ और भावनात्मक व्यंग्य राजस्थान की जनता के बीच पैदा हुआ। इसे राजस्थानी साहित्य का आदिकाव्य माना जाता है।विद्वानों के अनुसार राजस्थान की प्रमुख भाषा मरू भाषा है।मरूभाषा को ही मरूवाणी तथा मारवाड़ी कहा जाता है।

Table of Contents

राजस्थानी साहित्य को चार विशेष भागों में विभक्त किया जा सकता है |

1. चारण साहित्य:

  •    चारण साहित्य राजस्थानी भाषा का सबसे समृद्व साहित्य है.

  •  इसे चारण कवियों ने लिखा है और इसमें वीर रस का प्रमुख माध्यम है.

  •   चारण साहित्य में प्रबन्ध काव्य, गीत, दोहे, सौरठ, कुण्डली, छप्पय, सवैये, आदि विभिन्न छंदों में लिखा गया है.

  •  प्रमुख चारण साहित्य के ग्रंथ हैं, जैसे अचलदास की "खींची री वचनिका," पृथ्वीराज रासो, सूरज प्रकाश, वंशभास्कर, बाकीदास की ग्रंथावली, आदि.
राजस्थान का साहित्य | Literature Of Rajasthan

2. जैन साहित्य:

  • यह साहित्य जैनमुनियों द्वारा लिखा गया है.

  • प्राचीन राजस्थानी ग्रंथों में वज्रसेन सूरि के "भरतेश्वर बाहुबलि घोर," शालिचंन्द्र सूरि के "भरतेश्वर बाहुबलिरास," आदि महत्वपूर्ण ग्रंथ शामिल हैं.

  • इसके बाद कालान्तर में बृद्धिरास, जंबूस्वामी चरित, आबरास, स्थूलिभद्ररास, रेवंत गिरिरास, जीवदयारासु, चन्दनबाला रास, आदि ग्रंथ भी रचे गए.

3. संत साहित्य:

  • राजस्थान के साहित्यिक धरोहर में संत साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्थान है।

  • इस क्षेत्र में भक्ति आंदोलन के समय दादू पंथीयों और राम स्नेही संतों ने साहित्य का सृजन किया।

  • संत साहित्य में मीराबाई के पद, महाकवि वृंद के दोहे, नाभादास के वैष्णव भक्तों के जीवन चरित, पृथ्वीराज राठौड़ (पीथल) के रचित "वेलिक्रिसन रूकमणी री," सुन्दर कुंवरी के राम रहस्य पद, तथा सुन्दरदास और जांभोजी की रचनाएँ आदि महत्वपूर्ण हैं।

4. लोक साहित्य:

  • राजस्थान का लोक साहित्य भी समृद्व है।

  •  इसमें लोकगीत, लोक गथाएं, लोक नाट्य, पहेलियाँ, प्रेम कथाएँ और फडें शामिल हैं।

  • तीज, त्योहार, विवाह, जन्म, देव पूजा और मेले अधिकतर गीत लोक साहित्य का हिस्सा हैं।

  • फड का प्रचलन भी राजस्थान में है, जिसमें किसी कपड़े पर लोक देवताओं का चित्रण किया जाता है और इसके माध्यम से ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।

  • देवनारायण महाराज की फड, बापूजी री फड, आदि इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

राजस्थानी संत साहित्य और लोक साहित्य के माध्यम से, राजस्थान की भाषा, संस्कृति, और लोकप्रेम का महत्वपूर्ण हिस्सा प्रस्तुत किया जाता है और यह विविधता और धरोहर को संरक्षित रखने में मदद करता है।

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राजस्थानी साहित्य को विधा की दृष्टि से दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है:

1. पद्य साहित्य:

  •   पद्य साहित्य में कविता, गीत, और छंदों के आधार पर रचनाएं आती हैं.

  •  इसमें दूहा, सोरठा, कुण्डलियाँ, छप्पय, आदि छंदों में लिखी गई कविताएं शामिल हैं.

2. गद्य साहित्य:

  •   गद्य साहित्य में प्रोस, वात, वचनिका, ख्यात, वंशावली, पटृवली, पीढ़ियावली, दफ्तर, विगत, और हकीकत जैसे प्रकार की रचनाएं आती हैं.

  •   यह गद्य साहित्य कथा, गजल, और अन्य प्रकार के ग्रंथों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.
राजस्थान का साहित्य

राजस्थानी साहित्य की प्रमुख पुस्तकें:

1. हरिदास भार कृत "अजीतसिंह चरित":

  • इस पुस्तक में हरिदास भार ने "अजीतसिंह चरित" के रूप में एक महाकाव्य रचा है, जो राजस्थानी साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

2. उदयराम बारठ कृत "अवधान": 

  • उदयराम बारठ द्वारा लिखित "अवधान" एक महत्वपूर्ण काव्य है जिसमें सुंदर कविताएं और छंद शामिल हैं।

3. पदमनाभकृत "कान्हडदे प्रबंध":

  •  इस पुस्तक में पदमनाभ द्वारा रचित काव्य और प्रबंध हैं, जो राजस्थानी साहित्य के एक अहम हिस्से को प्रस्तुत करते हैं।

4. दुरसा आढ़ा कृत "किरतार बावनी": 

  • दुरसा आड़ा द्वारा रचित "किरतार बावनी" एक रसिक काव्य है जो प्रेम, रस, और भक्ति के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करता है।

5. दलपति विजया या दौलत विजय कृत "खुमांण रासो":

  •  इस पुस्तक में दलपति विजया द्वारा रचित "खुमांण रासो" एक महत्वपूर्ण काव्य है, जो रासलीला के किस्से को बताता है।

6. शिवदास कृत "गजगुणरूपक":

  •  इस पुस्तक में शिवदास द्वारा रचित "गजगुणरूपक" एक विशेष रचना है, जो गजलों के माध्यम से भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती है।

7. अमरनाथ जोगी कृत "रालालैंग":

  •  इस पुस्तक में अमरनाथ जोगी ने "रालालैंग" के रूप में एक महाकाव्य रचा है, जो प्रेम और भक्ति के विचारों को छूने का प्रयास करता है।

8. कवि धर्म कृत "जम्बूस् वामीरास":

  •  इस पुस्तक में कवि धर्म द्वारा रचित "जम्बूस् वामीरास" कविता है, जो राजस्थानी साहित्य की महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है।

9. कविराज मुरारिदास कृत "डींगक कोश":

  •  इस पुस्तक में कविराज मुरारिदास द्वारा रचित "डींगक कोश" काव्य शामिल है, जो भक्ति और प्रेम के विचारों को व्यक्त करता है।

10. हरराज कृत "ढो़ला मारवाडी़": 

  • "ढो़ला मारवाडी़" कविता हरराज द्वारा रचित है और इसमें राजपूत योद्धाओं और उनके शौर्य के विषय में है।

11. चंद दादी कृत-ढो़ला मारूरा दोहा:

  •  "ढो़ला मारूरा दोहा"**: इस पुस्तक में चंद दादी द्वारा रचित "ढो़ला मारूरा दोहा" शौर्य और प्रेम के संदेश के साथ एक प्रमुख काव्य है।

12. बांकीदास कृत "बांकीदास री ख्यात": 

  • इस पुस्तक में बांकीदास द्वारा रचित कविताएं हैं, जिनमें प्रेम, भक्ति, और अन्य मुद्दे होते हैं।

13. नरपति नाल्ह कृत "बीसलदेव रासो":

  •  नरपति नाल्ह द्वारा रचित "बीसलदेव रासो" एक महत्वपूर्ण काव्य है, जो राजपूत योद्धाओं के वीर गाथाओं को बताता है।

14. बीठलदास कृत "रूकमणिहरण":

  •  इस पुस्तक में बीठलदास द्वारा रचित "रूकमणिहरण" काव्य है, जो कृष्ण के लीलाओं को छूने का प्रयास करता है।

15. श्यामलदास कृत "बीरविनोद":

  •  इस पुस्तक में श्यामलदास द्वारा रचित "बीरविनोद" कविता है, जो राजस्थानी साहित्य के महत्वपूर्ण काव्यों में से एक है।

16. ईसरदास कृत "हाला झाला री कुण्डलियाँ":

  •  इस पुस्तक में ईसरदास द्वारा रचित "हाला झाला री कुण्डलियाँ" कविता है, जो राजस्थानी साहित्य की महत्वपूर्ण काव्य रचना है।

17. भांड़ड व्यास कृत "हमीरायण":

  •  इस पुस्तक में भांड़ड व्यास द्वारा रचित "हमीरायण" कविता है, जो महाकाव्य रूप में लिखी गई है और राजपूत योद्धाओं के शौर्य को गाती है।

ये पुस्तकें राजस्थानी साहित्य के महत्वपूर्ण काव्य और रचनाएं हैं, जो भक्ति, प्रेम, और राजपूत योद्धाओं के महाकाव्य के रूप में मानी जाती हैं। इन पुस्तकों में राजस्थानी साहित्य की विविधता और धर्मिक भावनाओं का सुंदर प्रस्तुतन किया गया है।